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फ़र्ज़ निभाना पड़ता है farz nibhana parega

फ़र्ज़ निभाना पड़ता है


ये जीवन है इस जीवन का फर्ज निभाना पड़ता है
हम ज़िंदा है तो जीवन कर्ज़ चुकाना पड़ता है।।
अक्सर बातें हो जातीहैं उन्हें भुलाना पड़ता है
हमको है मालूम तुम्हे सब याद दिलाना पड़ता है।।
लाख चुभें हो कांटे पे हँस के दिखलाना पड़ता है
यही रीत है जीवन की खुद को सिखलाना पड़ता है।।
नई प्रीत हो तो समाज को सबक सिखाना पड़ता है
नही जीत हो तो फिर मन को भी भरमाना पड़ता है।।
कभी कभी बिन बोले ही सब कुछ समझाना पड़ता है
कभी कभी अपनों के लिए खुद को भी झुकाना पड़ता है।।

©ज्योत्सना गुप्ता'रौशनी'
लखीमपुर खीरी

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