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आकिब जावेद के नज़्म दोस्ती dosti pr kavita

नज़्म :-  कविता

तेरे ख़ामोश होठों पर
मेरा ही नाम होता था
ये तब की बात है जबकि
कोई तुझको सताता था।
बहुत  परवाह करते थे हम
इक़ दूजै की पर लेकिन
मुसीबत के दिनों में
यार  तेरा ख्याल आता है।
तेरे खामोश होठों पर......
जो संग-संग में बिताये थे
वो लम्हें याद आते हैं।। 
  गली में ओर मोहल्ले में
सभी दुश्मन हुए मेरे
वो भूले ज़ख़्म याद आकर
मुझे एहसासे-गम देता
तेरे खामोश...........
जरा कुछ याद तो कीजे
मोहब्बत से भरे वो दिन
ज़माने के सितम ऐसे
हुए अपनी मोहब्बत पर
भुला बैठें हैं हम अपनी
वो कश्मे ओर वादों को
इधर में मर रहा हूँ याद में
लेकिन उधर जग मुस्कुराता है
तेरे खामोश........
तेरे ख़ामोश......
-आकिब जावेद

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