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हमीद कानपुरी के ग़ज़ल Hamid kanpur ke ghazal

 ग़ज़ल


आफत ली जिसकी सर पर।
फेंक  रहा   वो   भी  पत्थर।

सख्त   ज़रा    होता    नेचर।
अफसर   होता  है  अफसर।

मिलता जिसको  भी अवसर।
काम   लगाता    है   जमकर।

आग    लगाता   फिरता   वो,
फूँस   लगा  जिसका  छप्पर।

तुम  रूठे  हो   या  खुश   हो,
मुझको   पड़ता   है   अन्तर।

प्यार   करेगी   दुनिया   फिर ,
सीखा  जो   उल्फत    मंतर।

खुशियाँ  कम ,ग़म ज़्यादा दे,
प्यार  मुहब्बत  का  चक्कर।

खूब  शजर  पर  आये  फल,
आयेंगे    फिर    तो   पत्थर।


हमीद कानपुरी
अब्दुल हमीद इदरीसी

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