कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

निज़ाम-फतेहपुरी के ग़ज़ल Nizam fatehpur ke ghazal

 ग़ज़ल- 122 122 122 122

अरकान- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

मुझे रास आई न दुनिया तुम्हारी।
परेशां  तुम्हारा  यहाँ  है  पुजारी।।

सुखी है वही जो ग़लत है जहाँ में।
सही आदमी बन गया है भिखारी।।

दरिंदे हैं बे-ख़ौफ़ कितने यहाँ पर।
सरेआम लुटती बाजारों में नारी।।

जो सौ में सवा सौ काहे झूठ यारों।
वही रहनुमा बन  गया है मदारी।।

यही डर है सबको सही बोलने में।
कहीं घट न जाए ये इज़्ज़त हमारी।।

बड़ा तो वही है जो चलता अकड़ कर।
शरीफों का जीना जहाँ में है भारी।।

निज़ाम अब कहाँ जाए या रब बताओ।
भरी है बुराई  से  दुनिया  ये सारी।।

निज़ाम-फतेहपुरी
ग्राम व पोस्ट मदोकीपुर
ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

No comments:

Post a Comment