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ग़ज़ल ghazal

 ग़ज़ल


हर किसी से  उसे मिले  उल्फत।
पाल रक्खी  अजीब सी  चाहत।

कर  रहे  सब   गरीब  से   वादा,
पर सुधरती न दिख रही हालत।

काश  होता निज़ाम  ऐसा  कुछ,
जिससेमिलती ग़रीबको ताक़त।

कर  रहे  आज  जो  यहाँ लीडर,
देखकर मन  हुआ बहुत आहत।

साथ  उसके   रहूँ ,  हसूँ,   खेलूँ,
इतनी अच्छी नहीं मेरी किस्मत।

वो ही अक्सर  है आदमी  करता,
जिसकी जैसी  हुआ करे आदत।

साथ  हरदम  मुझे  मिले  उसका,
आज दिल में   हमीद के  चाहत।



हमीद कानपुरी,
अब्दुल हमीद इदरीसी,
वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत,
पंजाब नेशनल बैंक,
मण्डल कार्यालय,कानपुर-208001

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