महिला काव्य गोष्ठी (लखनऊ)
महिला काव्य मंच (रजि.) उत्तर प्रदेश( मध्य) की लखनऊ इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन 30/11 /2021 को गूगल मीट के माध्यम से किया गया। डॉ रीना श्रीवास्तव की अध्यक्षता तथा संयोजन में गोष्ठी बहुत सफलतापूर्वक संपन्न हुई ।
गोष्ठी का आगाज दिव्याशीं के द्वारा बहुत ही सुंदर सरस्वती वंदना से हुआ गोष्ठी की मुख्य अतिथि डॉ राजेश कुमारी (अध्यक्षा महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य) रहीं। इस अवसर पर डॉ राजेश कुमारी जी जो महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश की प्रान्तीय अध्यक्ष, प्रोफेसर के साथ साथ अनेक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए एक उत्कृष्ट कवयित्री भी हैं, ने अपने भावपूर्ण उद्बोधन से सभी में उत्साह का संचार कर दिया उन्होंने कहा कि, वस्तुतः महिला काव्य मंच अपने प्रेरक वाक्य 'मन से मंच तक' को पूरी तरह चरितार्थ कर रहा है, विगत वर्षों से इस गोष्ठी के नियमित एवं निर्बाध मासिक आयोजनों ने जहां साहित्यिक सौंदर्य बोध को परिमार्जित एवं समृद्ध करने का कार्य किया है वहीं समसामयिक ज्वलंत सामाजिक एवं सांस्कृतिक मुद्दों को कवयित्रियों द्वारा बहुत ही प्रभावशाली ढंग से उठाया जाना विशेष रूप से सराहनीय है। इसे सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक छोटा सा प्रयास भी कहा जा सकता है जो उत्तरोत्तर विकास की ओर अग्रसर है। डॉ राजेश कुमारी ने कहा कि जहां वर्ष 2021 की गोष्ठियों का क्रम अब पूर्णता की ओर है वही मंच की उपलब्धियां भी स्पष्ट रूप से उल्लेखनीय है ।
इस प्रकार मंच का कार्यक्रम निरंतर प्रौढता को प्राप्त करता हुए सफल हो रहा है, इसके लिए उन्होंने सभी कवयित्रियों को बधाई दी एवं शुभकामनाएं देते हुए प्रोत्साहित किया। विशिष्ट अतिथि डॉ उषा चौधरी (महासचिव महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य) की उपस्थिति विशेष रुप से प्रेरणा का स्रोत रही, उन्होंने अपने प्रभावशाली उद्बोधन से सभी को उत्साहित कर दिया डॉ उषा चौधरी ने अपनी भावपूर्ण कविता' यू बिखर जाए जैसे ताश के पत्तों का महल' सुना कर सभी को भावविभोर कर दिया, तत्पश्चात अंजू अंजू जी ने 'पुरुष होना आसान कहां था', डॉक्टर कालिंदी पान्डेय ने जिन्दगी की हर शाम सबक' डॉ कीर्ति श्रीवास्तव ने'वो मजदूर होते हैं बहुत मजबूर होते हैं', श्रीमती बीना श्रीवास्तव जी ने 'बचपन से मिला कीजिए ',डॉ अनुराधा पान्डेय ने 'अपने घर का आंगन मैंने इंटरनेट से देखा', श्रीमती मनीषा जी ने अपनी ग़ज़ल 'खयालात में सनम आते बहुत हो', श्रीमती स्नेह लता जी ने 'जीवन कंप्यूटर फ्लॉपी से रिश्ते सभी डिलीट', हुए डॉ सुधा मिश्रा ने 'मन कहता है बार-बार आदिम थे तो अच्छे थे' श्रीमती साधना मिश्रा ने 'कब हुई किसी की मनचाही', डॉ शोभा बाजपेई ने 'कहते हैं जिंदगी की राह में' नीरजा शुक्ला नीरू जी ने 'जीवन के कोरे पन्नों पर कुछ तुम लिख दो', श्रीमती पूजा कश्यप जी ने 'जलता दिया ना बुझा देना', डॉ रेखा गुप्ता ने 'तुम जो साथ हो मेरे मिलना नहीं किसी से' सुना कर समा बांध दिया एक के बाद एक उत्कृष्ट एवं चित्ताकर्षक कविताओं ने जहां श्रोताओं को बांधे रखा वही उन्हें मंत्र मुग्ध करते हुए खूब वाहवाही बटोरी, डॉ राजेश कुमारी ने अपनी कविता 'याद आती है अपनों की पर बताया नहीं जाता' सुना कर मन जीत लिया अंत में डॉ रीना श्रीवास्तव ने अपनी कविता "अनुभवों से गुजरते हुए हमने यह जाना है "सुना कर वातावरण को भाव पूरित कर दिया डॉ रीना श्रीवास्तव ने गोष्ठी का बहुत कुशल एवं आत्मीय ढंग से संचालन करके गोष्ठी को अधिक जीवंत बना दिया अंत में उन्होंने सभी कवयित्रियों का आभार व्यक्त करते हुए मंगल कामना, 'सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया' के संदेश के साथ कार्यक्रम को विराम दिया।
बहुत बहुत आभार सम्पादक जी समस्त महिला काव्य मंच की ओर से 🙏🙏🙏
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