अनपढ़
वो कोई भी काम कर लेगा
चुपचाप जिंदगी जी लेगा
उसे पता हैं वो अनपढ़ हैं
डिग्रियों को नही तौलेंगा
पढ़-लिखकर ये करता हैं
कोई उलाहना नहीं देगा
अनपढ़ कुछ भी कर लेगा
रात-दिन मेहनत कर लेगा
वो बेकार नही कहलायेगा
बेरोजगार नहीं कहलायेगा
वर्तमान में खुशी से जी लेगा।
कवि मस्ताना
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