मै सपने खूब दिखाऊँगा
जनता जनार्दन की पीड़ा नही, मै सपने खूब दिखाऊँगा
समाज का दर्पण नही दिखाऊँगा, मै अच्छे गीत गाऊँगा
गरीबी-भुखमरी, किसान की लाचारी, मै नही लिखूऊँगा
राजनीति के झोल-मोल, दुनियादारी की बात नही करूँगा
आज सबको दिखावा पसन्द है, मै सपने खूब दिखाऊँगा
शेर चुटकुले से सबके दिलो को, मै भी अब जीतूँगा
मेरी भी आँखें खुल गयी है, मै भी अब नाम कमाऊँगा
थोड़ा पुहड़पन, थोड़ा ओछापन, मै भी अब दिखाऊँगा
हास्य भी खूब कहूँगा, मै भी अब सबको हसाऊँगा।।
मंचो पर मै भी छाऊँगा, मै भी अब वाह वाहि लुटूँगा
आज सबको दिखावा पसन्द है, मै सपने खूब दिखाऊँगा।
अब ना कहना तुम्हे भूल गया, मै ख्वाबो मे कही खो गया
समझ गया हूँ तुम सपनो मे जीते हो, मै सपने खूब दिखाऊँगा
प्यार मोहब्बत की बाते करूँगा, मै महबूब की याद दिलाऊँगा
अब तुमको हककिक्त नही, मै सपने ही खूब दिखाऊँगा
आज सबको दिखावा पसन्द है, मै सपने खूब दिखाऊँगा।।
मै भी अब मंच सजाऊँगा, तुम मुझे बुलाना मै तुम्हे बुलाऊंगा
फेसबुक व्हाट्सप पर साहित्यिक ग्रुप - ग्रुप मै भी खेलूँगा
आपस मे सम्मान - पत्र बाटूंगा, मिलकर धमाल मचाऊँगा
ये महफ़िल प्रेम दीवाना है, मैं भी प्रेम के गीत गाऊँगा
मुठी भर लोगो को जमा कर, कवि तो मै बन ही जाऊँगा
आज सबको को दिखावा पसन्द है, सपने खूब दिखाऊँगा
कुछ हुश्न के भूखे भेड़ियो ने, मासूम की इज्जत लूटी
कश्मीर मे आतंकियों और जवानों की मुठभेड़ हुई
दहेज के लिए बहू को प्रतारित किया, जिंदा जलाया
ये हकीकत सुनने कि तुममे हिम्मत नही,दिखावे मे जितो हो
आज सबको दिखावा पसन्द है, मै सपने खूब दिखाऊँगा
राजू कुमार "मस्ताना"
No comments:
Post a Comment