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प्यार मोहब्बत पर - जल रहा हूँ... Jal rha hun

           जल रहा हूँ

जल रहा हूँ प्यार तपिस में
विरह का लू मार डालेगा
प्यार हमरा मिलन-पुकारे
तोड़ के आओ सारे बंधन
दुनियादारी खोखली परम्परा
धर्म जाती को गोली मारो
प्रेम का डेरा ईश्वर बसेरा।

            सुंदर -सलोना रूप तुम्हारा
            है  आखो   का   स्वप्न मेरे
            हवाए देती है,खुशबू आने का
            प्रेम सरोवर की वर्षा तुम हो
            नशा है मुझको रूप-योवन का
            छा  गई  हो तुम  बदली  जैसी
            अंधा   हूँ  मै  सावन   का।

नाजुक  हो तुम  तितली  जैसी
आँखो मे  चमक बिजली जैसी
होंठ खुलते जैसे चिड़िया बोली
मासूमियत तुझमे हिरणी  जैसी
मुस्कान तेरी खिलती फूलो जैसी
चेहरे पे रौनक जैसे उगता सूरज
मोहब्बत है तेरी हवा जैसी।
        
राजू कुमार मस्ताना

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