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अंतिम यात्रा..Antim yatra

अंतिम यात्रा

था मैं नींद में और ,
 मुझे इतना सजाया जा रहा था…।
बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था….।
ना जाने था वो कौन सा अजब खेलमेरे घर में….।
बच्चो की तरह मुझे, 
कंधे पर उठाया जा रहा था…।।

था पास मेरा हर अपना उस वक़्त….।
फिर भी मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था…।
जो कभी देखते भी न थे , मोहब्बत की निगाहों से….।
उनके दिल से भी प्यार मुझ,
पर लुटाया जा रहा था…।।

मालूम नही क्यों हैरान था,  
 हर कोई मुझे सोते हुए देख कर….।
जोर-जोर से रोकर मुझे,  
 जगाया जा रहा था…।
काँप उठी मेरी रूह वो मंज़र देख कर….।
जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था….।।

मोहब्बत की इन्तहा थी ,
 जिन दिलों में मेरे लिए…।
उन्हीं दिलों के हाथों, 
 आज मैं जलाया जा रहा था। 
ये ही जीवन का सच्चा सपना, 
हम बार बार दिखे जा रहे थे।
और फिर भी हम हकीकत से दूर भागे जा रहे थे।।

मेरी कविता “अंतिम यात्रा ” का वर्णन अपने एक छोटे से सपने के अनुसार आपको बताने की मैंने कोशिश की है, जो की जीवन की सच्चाई है।
यही आपके दिल को छूये तो अपनी प्रतिक्रियां हमे जरूर दे।

संजय जैन (मुंबई)
13/05/2019

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