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कब मिलोगे... Kab miloge kavita

कब मिलोगे
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प्यार का रंग अब चढ़ाने लगा है,
दिल अब मेरा भी मचलने लगा है।
न जाने अब कब,
मुलाकात होगी,
और हमारे प्यार की शुरुआत होगीll

दिल मेरा अब मचलने लगा है।
प्यार के लिए,
तड़फ ने लगा हैl
दिल पर ज़ख़्म,
इतने गहरे हैं,
कि हमको,
खुद मालूम नहीं।
और खुदी पर,
वार करते रहेll

लाश खुद बन गए,
इस ख्याल से।
कि वो,
मेरे जनाजे पे आएंगे।
कम से कम दो,
फूल तो चढ़ाएंगे।
अब इससे ज़्यादा उनके।
दीदार का इंतज़ार क्या करे ?
आँखें थक गई है,
अब इन्तजार में।
दिल पिघल गया है,
तेरे प्यार में।
आकर एक घूँट तो,
अब पिला दो।
और दिल की,
बैचेनी को मिटा दोll

मिलते हो जब,
तो कहते हो।
कि आज रहने दो।
दूर जब तुम होते हो,
तो कहते हो।
कि कब जवां,
दिलों को मिलवाओगे।
और जो लगी है,
आग दिलों में।
उसे तुम कब बुझाओगेll

दो मचलते हुए,
दिलों को कब।
प्यार मोहब्बत,
तुम सिखाओगेll

संजय जैन
 (मुम्बई)

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