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माँ पर आधारित कविता

माई के दरदिया

काहै ब्याही इतनी दूर बिटिया ,
ओ मोरी प्यारी मईया
चाह कर भी आ ना सकू  ,
सुनने मै तोरी बतियां ,
याद तेरी आए बहुत ,
बीते करवट बदल रोकर हर एक रतिया , 
एक पल को भी चैन ना आवै  ,
जब से सुनी खबरिया , 
बीमार बहुत है प्यारी माई , 
दुख से भीगे अखियां ,
बरछी चलावे ताने मारे दिन रात मोरी , 
नंनदियाॅ , 
काहे जाना अब इस बेला छोड़ दे ये नौटंकीया ,
पूरी हो जाऐ जब तोरी माई  तब जईयो ,
उसकी दुअरिया , 
हाथ मे जोडू पैर दबांऊ  कोशीश की  ,
भरपूर पर  सूनै ना कोई अरजिया ,
जी तरसत है मन विचलित है आये ना ,
मनहूस संदेशिया ,
जिसकी गोद में पली लाड़ से सदा खैर ,
रखियो उसकी कन्हैया  ।।
                   (चंद साॅसे )
स्वरचित् ✍🏻 कमल गर्ग 

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