काहै ब्याही इतनी दूर बिटिया ,
ओ मोरी प्यारी मईया
चाह कर भी आ ना सकू ,
सुनने मै तोरी बतियां ,
याद तेरी आए बहुत ,
बीते करवट बदल रोकर हर एक रतिया ,
एक पल को भी चैन ना आवै ,
जब से सुनी खबरिया ,
बीमार बहुत है प्यारी माई ,
दुख से भीगे अखियां ,
बरछी चलावे ताने मारे दिन रात मोरी ,
नंनदियाॅ ,
काहे जाना अब इस बेला छोड़ दे ये नौटंकीया ,
पूरी हो जाऐ जब तोरी माई तब जईयो ,
उसकी दुअरिया ,
हाथ मे जोडू पैर दबांऊ कोशीश की ,
भरपूर पर सूनै ना कोई अरजिया ,
जी तरसत है मन विचलित है आये ना ,
मनहूस संदेशिया ,
जिसकी गोद में पली लाड़ से सदा खैर ,
रखियो उसकी कन्हैया ।।
(चंद साॅसे )
स्वरचित् ✍🏻 कमल गर्ग
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