हाइकू
ना विद्या ज्ञान
ना जाने छंद रस
ना अलंकार।
देखे हैं मैंने
ऐसे भी कवि यार
पाते सम्मान।
सब विद्या में
पल मे है रचना
लिख वो देते।
साहित्य ज्ञाता
सोचते ही रहते
वो लिख देते।
क्या लिखते वो
संस्थाचालक जाने
और वो जाने।
खेल हो गया
है रचना करना
सम्मान पाना।
लो लिख दिये
हमने भी रचना
करो सम्मानित।
राजू कुमार मस्ताना
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