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देवदर्शन.. Dev darshan

नित दिन करे देवदर्शन

जब भोर हुए आना,
जब शाम ढले आना।
संकेत प्रभु का तुम भूलना जाना,
जिन्नेंद्रालाय चले आना।
जब भोर हुए आना,
जब शाम ढले आना।।

मैं पलछीन डगर बुहारूंगा,
तेरी राह निहारूंगा।
आना तुम मंदिर दर्शन को,
श्रीजी की पूंजा तुम दिन करो।
जब भोर हुए आना,
जब शाम ढ़ले आना।।

नित साँझ सबेरे मंदिर में, पूंजा भक्ति में करता हूँ।
और करता हूँ स्वाध्य, जिनवाणी का।
आत्म शुध्दि के महापर्व पर।
जब भोर हुए आना,
जब शाम ढले आना।।

जन्म जन्म से भाव सजोये थे,
मुनि दीक्षा हम अब पाएंगे।
श्रध्दा भक्ति विनय समर्णपण का,
कुछ तो दे दो फल।
मेरी दीक्षा विधा गुरुवर के,
हाथो से बस अब हो।
ऐसा आशीर्वाद हे मुनिवर,
मुझे आप ये दे दो।
जब भोर हुए आना,
जब शाम ढले आना।।

संजय जैन (मुंबई)

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