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धूप में जलता एक तन्हा पेड़.. Dhup me jalta ek tanha ped


धूप में जलता एक तन्हा पेड़

मेरे गांव की मुझे वो याद दिलाता है
एक पेड़ है जो मुझे रोज बुलाता है,
भेजता है संदेशे वो पंछियों के साथ
कहता है कि तु अब लौट क्यों नहीं आता है...
गुज़रा था सबका बचपन
उस पुराने पेड़ की छांव में,
अब है तन्हा वो
जैसे कोई बुजुर्ग किसी गांव में...
सारा दिन हम बच्चे उस पर
झूला झूलते रहते थे,
पंछियों के साथ हम भी
उसे अपना घर समझते थे...
अब वो पेड़ तन्हा ही
जाने क्यों जलता है धूप में,
बड़े हो गए वो बच्चे
ढल गए किसी और रूप में...
पर कभी जब इस शहर में कोई
हवा का झोंका आता है,
जाने क्यों ये बावरा सा मन
कुछ यादों से भर जाता है...
कट चुके हैं सब पेड़ वहां
आधुनिकता के नाम पर,
बस एक अकेला वो पेड़ है अब
जो खड़ा है धूप में यादें थाम कर.....

          विजय कुमार

*परिचय*
नाम - विजय कुमार
साहित्यिक नाम - विजय कुमार
जन्मतिथि - 10 मई 1996
वर्तमान पता - मैन मार्केट
शहर - चौथ का बरवाड़ा
जिला - सवाई माधोपुर
राज्य - राजस्थान
विद्या - कविता,मुक्तक,शायरी

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