*क्या करे क्यो करे*
क्या करे क्यो करे किसके लिए करे,कोई तो हमें समझाए।
मिला हैं मानव जन्म हमें,
तो कुछ अच्छा कर जाएं।
ताकि ये जीवन सफल हो जाये।।
कितना कुछ हम लोगों ने,
देश दुनियां को बदल दिया।
पर खुदको हम बदल न पाए।
बढ़ते दुसरो के कदमो को,
खिंचकर पीछे जरूर हम लाये।
पर खुदकी सोच को हम कभी बदल नही पाए।।
जरा सोचो समझो करो विचार,
क्या करने जा रहे हो यार।
किया नही कभी भी जीवन में,
जनहित का तुम ने कोई काम।
फिर क्यो उम्मीदें रखते हो,
जन प्रतिनिधि बनने की।
क्या ऐसे लोगो को समाज अपनाएगा?
सुख दुख में जो साथ दे,
वही इंसान हमें प्यारा लगता है।
अपना न होकर भी अपनो
से,
बढ़ कर हमें वो लगता है।
क्योंकि ऐसे लोगो के दिल में,
इंसानियत का जज्बात जिंदा रहता हैं।।
कर गुजरेंगे कुछ इस तरह से यारो।
की इतिहास के पन्नो को हम,
लोगों से उलट पलट करवा देंगे।
भूत भविष्य की सोच रखने वालों को,
वर्तमान में जीने की कला सिखला देंगे।।
मिला हैं मानव जन्म तो कुछ,
देश समाज के लिए करके दिखाओ।
खुदके लिए तो हर कोई जीता हैं।
कभी दुसरो के लिए जीकर दिखलाओ।
और अपने इस जन्म को सार्थक कर जाओ।।
संजय जैन (मुम्बई)
08/06/2019
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