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धीरज कुमार पचवारिया मुक्तक muktk

अदावत,ख़िलाफ़त, बग़ावत से ज्यादा कुछ नहीं है
ये  सब  बातें  सियासत  से  ज्यादा  कुछ   नहीं  है
खामखां   तुम   हम   पर   इल्ज़ाम   धर.......बैठे,
मेरे  दिल  में  मोहब्बत  से  ज्यादा  कुछ   नहीं   है

~~~धीरज कुमार पचवारिया~~~

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