।। पनघट।।
पनघट पर पनिहारिन
रहती पंक्ति बद्ध खड़ा।
कोई भर रही होती पानी
रखे हुए कोई सिर पे घडा़
कहां गया पुरातन युग
समस्या सामने है बडा़।। पनघट पर - - - - - - -
खपरैल की शीतलता
था दुपहरी का सुंदर ठांव
कट गये बरगद पीपल
नहीं रहे वैसे शीतल छांव
शहरीकरण मे मिटे सारे गाँव
दृष्टि मे आज पुरातन ही गडा़।। पनघट पर - - - - - - -
चने की घुघुरी महुआ का लाटा
समय के मुख पर था बड़ा चाटा
चला गया कहां वह सत्तू का आंटा
थे जो बड़े खेत बने हैं आज गाटा
कौन जाति वर्ग मे सभी को बांटा
समाज आज भेद भाव पर है अड़ा।। पनघट पर - - - - -
आधुनिकता की शान मे रेफ्रिजरेटर को लाये
क्लोरो - फ्लोरो कार्वन को तूं ही तो फैलाये
अब दिल वाली दिल्ली दमघोंटूं कहलाये
हालत महानगरों की दिन-दिन बिगड़ती जाये
भोजन मे विष मिलाकर मानव खाये
दुर्लभ हुआ ताजा अन्न खाने को है सड़ा।। पनघट पर----
नवीनता को नमस्कार प्राचीनता को लाओ
मानव अस्तित्व को तूं खतरों से बचाओ
वायु जल ध्वनि प्रदूषण पे काबू तो पाओ
प्रकृति के दोहन पर लगाम तो लगाओ
मनुष्य बन मानवता का पाठ तो पढा़ओ
साक्षी है इतिहास मानव केवल तूं लड़ा।। पनघट पर - - -
।। कविरंग उर्फ पराशर।।
पनघट पर पनिहारिन
रहती पंक्ति बद्ध खड़ा।
कोई भर रही होती पानी
रखे हुए कोई सिर पे घडा़
कहां गया पुरातन युग
समस्या सामने है बडा़।। पनघट पर - - - - - - -
खपरैल की शीतलता
था दुपहरी का सुंदर ठांव
कट गये बरगद पीपल
नहीं रहे वैसे शीतल छांव
शहरीकरण मे मिटे सारे गाँव
दृष्टि मे आज पुरातन ही गडा़।। पनघट पर - - - - - - -
चने की घुघुरी महुआ का लाटा
समय के मुख पर था बड़ा चाटा
चला गया कहां वह सत्तू का आंटा
थे जो बड़े खेत बने हैं आज गाटा
कौन जाति वर्ग मे सभी को बांटा
समाज आज भेद भाव पर है अड़ा।। पनघट पर - - - - -
आधुनिकता की शान मे रेफ्रिजरेटर को लाये
क्लोरो - फ्लोरो कार्वन को तूं ही तो फैलाये
अब दिल वाली दिल्ली दमघोंटूं कहलाये
हालत महानगरों की दिन-दिन बिगड़ती जाये
भोजन मे विष मिलाकर मानव खाये
दुर्लभ हुआ ताजा अन्न खाने को है सड़ा।। पनघट पर----
नवीनता को नमस्कार प्राचीनता को लाओ
मानव अस्तित्व को तूं खतरों से बचाओ
वायु जल ध्वनि प्रदूषण पे काबू तो पाओ
प्रकृति के दोहन पर लगाम तो लगाओ
मनुष्य बन मानवता का पाठ तो पढा़ओ
साक्षी है इतिहास मानव केवल तूं लड़ा।। पनघट पर - - -
।। कविरंग उर्फ पराशर।।
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