परिचय
तथागत के श्री चरणों मेंकरता प्रणाम मै हूँ पेश।
पावन चरण धूलि लेकर
मेरे परिचय का श्रीगणेश।।
गौतम के धरती का सुवास हूँ
पाठकों के मन की अभिलाषा हूँ।
प्रेमियों का खासमखास हूँ
दूर जनों के दिल की आशा हूँ।।
गोदी में है सिद्धार्थ नगर के
सुन्दर सा पर्रोई ग्राम।
विनोद हुए जग मे कविरंग
पराशर बनके किये प्रणाम।।
मेरे जनक राम वंश के गुरु हैं
माता सत्यवान की सावित्री हैं।
सुस्वादु मधुर व्यंजन की
उठी सुबास जावित्री हैं।।
राजाओं की विजय लक्ष्मी
हर करके मै लाया हूँ।
तरुण राय और ओशो सा
उनसे दो पुत्रों को पाया हूँ।।
भौंहें हरदम तनी ही रहती
दुबली काया गौर शरीर।
झगड़ा वो पल-पल मे करती
रजनी मे हर लेती पीर।।
भरत राम सम भ्राता दो है
भगिनी कृष्ण की गीता हैं।
शिव की प्रिया शिवा बन आयी
दोनों नेम धरम मे सीता हैं।।
गोरखनाथ के तपोभूमि से
उच्च डिग्रियों की शिक्षा है।
शिक्षक प्राथमिक विद्यालय का
पर मिलता केवल भिक्षा है।।
योगीराज का शासन ठहरा
विषय बड़ा बेहद गंभीर।
कोर्ट कचहरी के चक्कर मे
छूट चुका है पूरा धीर।।
देश - विदेश मे ख्याति लब्ध
मेरे हुक्मरान श्री मोदी हैं।
उर्बर मिट्टी गुर्जर प्रदेश के
उठे गंध ये सोंधी हैं।।
परिचय मेरा इतिहास यही
लिखता हूँ सच कहता हूँ सही।
सहस्र बात मे एक बात है
परोपकार से यह टिकी मही।।
स्वरचित ।। कविरंग।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)


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