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कालिन्दी वर्णनम्

              कालिन्दी वर्णनम्


यमुन     गरम  जलधार  में, मिटा   सारी    थकान।
निकसन को मन ना कहे, प्रफुल्लित तन-मन प्रान।।1।।

देखि सुभग शीतल सुखद, यमुना छवि सुख धाम।
मनहुँ सुधा वरषहिं जलद, मन भय अचल निष्काम।। 2।।

चावल   रीझहिं  वारि मे, बिनु   ईधन   बिनु   तेल।
महिमा  यमुना  की कहूँ, कि उष्ण  शीत को  मेल।। 3।।

राह  विकट  संकट   बड़ो, मन न रहे  थिर  नाहि।
है  कालिंद   पर्वत   खड़ो, नर  मन समझत जाहि।। 4।।

कल - कल निनाद कर रही, यमुना को   आवाज।
सोवन सुख सो देत   नहिं,   ना   मन  आवै  बाज।। 5।।

स्वरचित                    ।। कविरंग ।।

                   पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)

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