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स्वर्ग को समझो

*स्वर्ग को समझो*

जिंदगी गुजर रही हो, 
 आपकी निरोग तो।
मान लेना कि स्वर्ग में हो।
मत होना कभी उदास?
ये सोचकर कि में,
दौलत नहीं कमा पाया।
पर मिला जो वो दौलत,
से भी बड़ी दौलत है।।

जीवन अनमोल है,
नसीब वाला भी है।
जो निरोग होकर,
जीने को मिला है।
मानो अच्छे कर्मों का
फल मिला है।
तो क्यो न इसे,
सार्थक हम बनाये,
और हर घर में स्नेहप्यार 
 की ज्योत जलाए।
और इंसानों के अन्दर
इंसानियत को जगाये।।

कार्य किये थे पूर्व में,
कुछ अच्छे और सच्चे।
तभी तो मिल गया,
मानव जन्म इस भव में।
अब अगले भव की सोचो,
करो कर्म अच्छे और सच्चे।
और बन जाओ एक मिसाल,
अपने मानव कुल की।।
जीवन है अनमोल इसे, 
 व्यर्थ न गमाओ।।

जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
28/08/2019

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