*राह दिखाता है*
विधा : गीतमुझे राह दिख,
लाने वाले मेरे मन।
कभी राह खुद तुम,
यूही न भटकना।
मुझे राह....…...।
मोहब्बत में जीते,
मोहब्बत से रहते ।
मोहब्बत हम सब,
जन से है करते।
स्नेह प्यार की दुनियां,
हम हैं बसाते।
मुझे राह........।।
न भेद हम करते,
जाती और धर्म में।
न भेद करते,
ऊंच और नीच में।
में रखता हूँ समान भाव,
अपने दिल में।
मुझे राह..........।।
हमे अपनी संस्कृति,
को है बचना ।
दिलो में लोगो के,
प्यार है जगाना।
अपनी एकता और
अखंता बचाना।
मुझे राह .........।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
03/08/2019
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