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क्या कहे इस रात को*

*क्या कहे इस रात को*


जाने क्या बात थी
उस मुलाकात में।
चाँद झर झर बहा
चाँदनी रात में ।

हम हो गए दीवाने तेरे
पहली मुलाकात में।
चमकता चाँद जैसा चेहरा
निकला है चांदनी रात में।
कैसे बुलाऊ तुम्हे अपने पास में।
क्योंकि कितने देख रहे है
तुम्हे इस चाँदनी रात में।।
चाँद झर झर बहा रहा चाँदनी रात में।।

पूनम के चाँद की तरह
तुम आज दिख रही हो।
देखा तेरा चेहरा आज
तो दिल मे बस गई हो।
अब कैसे दू सन्देश तुम्हे
की मुझे प्यार हो गया।
अब कैसे मिले तुमसे
इस चाँदनी रात में ।
चाँद झर झर बहा रहा चाँदनी रात में।।

जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुंबई )
26/08/2019

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