हमीद के दोहे
देश बचाने के लिए , देते हैं जो जान।
हरगिज़ सह सकते नहीं,हम उनका अपमान।
मुल्क हिफाजत ही रहा, जिसका बस ईमान।
दूर सियासत से रखो, उसका तुम बलिदान।
सरहद पर ही मन रही , उसकी होली ईद।
सरहद पर करता सदा, अरमां सभी शहीद।
जो विकास का नाम ले , करते हैं व्यापार।
रफ्ता रफ्ता ढह रहा , उनका जन आधार।
जिसके दम से ज़िन्दगी , हरदम है आबाद।
उसको करता नितनमन,उल्फत ज़िन्दाबाद।
नफ़रत करना है कठिन, उल्फत है आसान।
उल्फत के दमपर बनी, आदम की पहचान।
हमीद कानपुरी
अब्दुल हमीद इदरीसी
वरिष्ठ प्रबंधक सेवानिवृत्त
पंजाब नेशनल बैंक।
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