लघुकथा
असली शिक्षा
उस पॉश कालोनी के सेक्रेटरी ने कॉलोनी में प्रतिभावान बच्चों के सम्मान करने हेतु एक कार्यक्रम आयोजित किया था। उस कॉलोनी केअधिकांश बच्चों ने अच्छे -अच्छे अंक लेकर परीक्षा उत्तीर्ण कर कॉलोनी का नाम रोशन किया था।
कॉलोनी के टॉपर बच्चों के बारे में उनके माता-पिता खूब बढ़ा -चढ़ा कर बता रहे थे। तभी वहाँ एक वृद्धा जैसे -,तैसे लाठी टेकते हुए आई और गुस्से से कहने लगी -"इस कॉलोनी के बच्चे जरूर इम्तिहान में अच्छे अंक लाये होंगे पर इन्हें केवल किताबी ज्ञान ही प्राप्त हुआ है ।तभी तो इन शैतान बच्चों ने मिलकर मुझ जैसी बूढ़ी और असहाय महिला का सहायता करने की बजाय मेरे पीछे अपना कुत्ता छोड़ दिया था । जब में डर कर दौड़ने का प्रयास करने लगी तब गिर पड़ी ।ये बच्चे मेरे इस हाल पर ताली बजा-बजा कर हँसते रहे ।मजा लेते रहे। आज इनकी वजह से मेरे एक पैर की हड्डी टूट गई है। अरे!ऐसे कोरा किताबी ज्ञान का क्या फायदा जहाँ माता-पिता अपने बच्चों को नैतिकता और अच्छा संस्कार न सिखा पाए। असली शिक्षा तो अच्छे व्यवहार का होना चाहिए।"
उनकी इस बात को सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने उनका समर्थन किया।
डॉ.शैल चन्द्रा
रावण भाठा, नगरी
जिला- धमतरी
छत्तीसगढ़
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