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माँ- अहससों से सांसो का सफर (कविता)

सोचा कुछ लिखने का जगतजननी  के बारे में 

दुनिया की सारी कलम खत्म हो गई एक शब्द माँ लिखकर।
सृष्टि से मैनें पूछा बता तेरे होने की वजह?
यूँ मुस्कुरायी मानो मैनें उससे उसका पता पूछ लिया।
बचपन के यादगार लम्हें में जब चली में पीछे,
गिर जाती थी मैं बार-बार , छोटे-छोटे कदमों से फिर उठ चलने को मैं दौड़ती
माँ मुस्कुराती थी और मैं सीख जाती चलना।
ममता की छाया ने सजाया हैं धूप को
प्यार की गोद ने रचा हैं इतिहास को।
जन्नतो की राह ने जलाया हैं बूझती उम्मीदों को ,
एक हँसी ने चुराया हैं हर दर्द को।
एक प्यास ने बूझाया हैं किसी की प्यास को,
लिखने चले थे हम माँ की कहानी,
एक शब्द "माँ" लिखकर खो गई कलम भी अहससों की सांसो में।

- टिशा मेहता
इन्दौर (मध्य-प्रदेश)

     परिचय:-
टिशा मेहता भारत के इन्दौर (मध्य प्रदेश) से हैं। वह एक जानी-मानी यंग लेखिका हैं , जो अभी सोलाह वर्ष की हैं।उन्होंनें सहित्य में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हैं।उन्होंनें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेख लिखे हैं तथा उनके लेख कई किताबों तथा पत्रिका में
प्रकाशित हुए हैं जिन्हें पाठकों ने बहुत पसंद किया हैं , इसके अतिरिक्त वे रिकॉर्ड होल्डर भी हैं। इस महिला दिवस पर उन्हें दो हजार बीस (2020)की यंगेस्ट इन्फ्लुएंसर महिला का सम्मान प्राप्त हुआ

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