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जिंदगी और जीवन क्या हे, "निबंध " jindagi or jivan kya h nibandh

जिंदगी और जीवन क्या हे ।,"  निबंध "


जिंदगी वह है जो अपने आप मिलती है , और जीवन वह है जो हम अपनी मर्जी से जीते हैं ।  जिंदगी तो मौत जैसे
भी जिया जा सकता है , बहुतों की तो मौत भी जीवन से बेहतर बन जाती है । जिंदगी मे जीवन है या नही यह सभी के अपने जीवन के परिणाम या उपयोग पर निर्भर करता है । अगर जिंदगी मे कुछ अन्य लोगों के लिए सार्थक किया जा सका तो उतना ही जीवन है , बाकी तो मृत्यु की तरह ही होता है । अपने लिए कुछ करना तो सभी जीव - जन्तु वनस्पतियों में खुद ही हो जाता है उसे करने की कोई ज़रूरत ही नही होती , एसे लोगों को
जीवित मानने का कोई औचित्य नही है ।तमाम जीव -
जन्तु - वनस्पतियाँ तो दूसरों के उपयोग में इंसानों से भी ज़्यादा शिद्दत से आती है , इसी तर्ज पर कहा जा सकता है की पत्थरों में भी जीवन होता है । पत्थर भी अपना
काम इंसानों से ज़्यादा शिद्दत से करते हैं , अपने पूर्व
निर्धारित मार्ग से कभी नही डिगते , जो कहते हैं वह ज़रूर करते हैं , इससे ज़्यादा विश्वास किसी भी चीज़ पर
नही किया जा सकता , सबसे ज़्यादा समय तक टिके रहने की ताक़त होती है , आख़िर पत्थरों में भगवान नही मानने का कोई कारण भी तो हो | इंसान तो पत्थरों से भी गया गुजरा है , जिंदगी पाकर भी कुछ नही करने के तरीके ढूँढा करता है , । समस्याओं से भागने मे ही अपनी बुद्धिमानी समझता है , लोगों को ग़लत संदेश या भरोसा देता है और आख़िर मे लोगों से सहायता की उम्मीद में
खुद द्वारा किया जाने वाला प्रयास भी लोगों को नही करने देता और जानबूझकर काल के गाल में सामने या
लोगों को समाते हुए देखने मे ही अपनी समझदारी
समझता है ।


Op Merotha hadoti Kavi
Mob: 8875213775
छबड़ा जिला बारां ( राज०)

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