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समय की चिन्ता लिखूंगा मैं samay ki chinta likhunga main

समय की चिन्ता लिखूंगा मैं

कवि तो हूँ पर कविता नहीं समय की चिन्ता लिखूंगा मैं।
न लिख पाया व्यथा समय की तो कलम तोड़ दूंगा मैं।।
लिखूंगा मुफलिसो नादार के हक में,
शोषितों, पीड़ितों के अधिकार के हक में।
लिखूंगा बेबस और लाचार के हक में,
सर्वहारा मजदूरों की सरकार के हक में।।
जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष की गाथा लिखूंगा मैं।
कवि तो हूँ पर कविता नहीं समय की चिन्ता लिखूंगा मैं।।
लिखूंगा मिटते चरित्र को बचाने के लिए,
नैतिकता को उन्नति पर ले जाने के लिए।
लिखूंगा सोई आवाम को जगाने के लिए,
हाँ इंसान को इंसान बनाने के लिए,।।
कलम हाथ में है उच्च आदर्शों की अमर कथा लिखूंगा मैं।
कवि तो हूँ पर कविता नहीं समय की चिन्ता लिखूंगा मैं,।।
लिखू्ंगा विज्ञान के विकास के लिए,
नए नए ज्ञान के प्रकाश के लिए।
लिखूंगा अज्ञानता के ह्रास के लिए,
वास्तविक प्रक्रिया से सृजित एहसास के लिए।।
सही एवं उन्नत दृष्टिकोण पर "पूर्ण" चर्चा लिखूंगा मैं।
कवि तो हूँ पर कविता नहीं समय की चिन्ता लिखूंगा मैं।।

*@पूर्णजीत गुप्ता "पूर्ण"*
चूड़ामणिपुर, जौनपुर, उ.प्र.

1 comment:

  1. वाह क्या खूब लिखा है कवि महोदय
    आप ऐसे ही लिखते रहें👍👍👍👍👍👍👍

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