पितृ दिवस पर पापा को समर्पित
एक कर्ज जो कि जीवन भर मुझ पर उधार रहेगा।
पापा भुला न सकुंगा, पा न सकुंगा सदा अमर आपका प्यार रहेगा।।
पनपता सा इक पौधा हूँ मैं, आप ही हो बस मेरा सहारा।
सहारे की जरूरत न पड़ेगी आपको कहता ये अडिग विश्वास हमारा।।
मेलों में कंधे आपके बन जाते थे मेरे पांव।।
मुश्किलें आये कितने जीवन में, हर मुश्किल से लड़ना सिखाया है आपने।
संघर्षों की राह पर उम्र गुजार दूंगा, जो रास्ता संघर्ष का दिखाया है आपने।।
सबसे बड़ा उपहार मेरे जीवन का है कि मैं आपके नाम से जाना जाता हूँ।
धन्य हो जाता हूँ मैं गर्व करता हूँ खुद पर, हर उस पल जब बेटा आपका मैं कहलाता हूँ।।
आप ही से है मेरी हर खुशी, मेरी आन-बान और शान।
वजूद मेरा आपसे है, पापा आप ही में बसती मेरी जान।।
आप मुस्कुराते रहो सदा, दुनिया की हर खुशी आपके कदम चूम जाए।
बस प्यार मिलता रहे आपका सदा दिल, दिल से, बार-बार यही चिल्लाए।।
*---@पूर्णजीत गुप्ता "पूर्ण"*
चूड़ामणिपुर जौनपुर, उत्तर प्रदेश
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