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शाहरुख मोईन के ग़ज़ल shahrukh moine ke ghazal

शाहरुख मोईन के ग़ज़ल

जिससे मिलिए टूटा हुआ ख्वाब मिलता है,*
 ख्वाबों में संवरेगा मुकद्दर ज़वाब मिलता है।

 *मयस्सर नही है गरीबों को ढंग से पानी भी,*
 चंद सियासतदावो के महलों में शराब मिलता है।

*दुःख दर्द तो अभी हमारे मुकद्दर में लिखा है,*
 हमारे दिल में मुहब्बत मगर बेहिसाब मिलता है।

 *अब तो डिजिटल लूट हो रही है शहरों में,*
 कसीदे पढ़ने वालों को मंचों पे खिताब मिलता है।

 *मेरी बगावत के चर्चे होने लगे है जुबानों पे,*
 अफसर ये भी बनते, पढ़ने को इन्हें कहा किताब मिलता है।

 *जो मिटा डाला सियासत ने नौकरी में आरक्षण,*
 फिर देखिए नोजवानो का कहां टूटा हुआ ख्वाव मिलता है।

 *शाहरुख हम तो इन्कलाबी बातें लिखते है,*
पागल का तमगा हमको सियासतदानों का ज़वाब मिलता है।

*शाहरुख मोईन*
अररिया बिहार

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