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यही वक़्त हैं .. yahi wakt h कवि मनोज कुमार वर्मा

शीर्षक - यही वक़्त हैं।

 
वक़्त दिखता नहीं,
                  मगर बहुत कुछ दिखा जाता है।

वक़्त सीखता नहीं,
                   मगर बहुत कुछ सीखा जाता है।
 
वक़्त सुनता नहीं,
                 मगर बहुत कुछ सुना जाता हैं।

वक़्त रोता नहीं,
              मगर रुला जाता है।

वक़्त हंसता नहीं,
               मगर हंसा जाता हैं।

वक़्त बताता नहीं,
               मगर बीत जाता हैं।
        
वक़्त रुकता नहीं,
               मगर चला जाता हैं।
 
वक़्त बदलता नहीं,
                 मगर बदल जाता हैं।

वक़्त भुलता नहीं,
              मगर भुला जाता हैं ,, 
     
 ये वक़्त है, मेरे दोस्त रुकता नहीं,
          चला जाता हैं।

संक्षिप्त परिचय- मनोज कुमार वर्मा।
गांव- बासनी
तहसील - लक्ष्मणगढ़
जिला - सीकर, राजस्थान

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