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Kavita कविता

 मुस्कान है..

 मोहब्बत है..

सब्र है......
बेटियों मै...
नालायक और गैर ज़िम्मेदार  बेटों के घरों को
संभाल लेती है..
ज़रा गौर से देखो...
एक जांबाज़ मर्द है.
बेटिओं मै.....

रुको ज़रा करीने से लगा लेने दो.
मुझे ज़ख्मो को अपने.
अगर उसने देख लिया..
तो क्या सोचेगा.
बड़ा बेसलीका है.
मेहबूब मेरा......


बहुत तपा है....
दिल मेरा....
चटाखे की धूप मै...
ऐ बारिश ज़रा सब्र रख...
अभी तपन निकलने मै ज़रा वक़्त लगेगा...


बुझ गए चिराग सच्चो को ढूंढ़ते ढूंढ़ते..
भर गई महफ़िल उस वक़त  गवाहो से 
ज़ब तेहकीक़ात मेरे इश्क़ की शुरू हो गई...  


इस से ज़ियादा और की मांगे उनके लिए......
के उन्हें मिले...
हमसा  चाहने वाला...
दुनिया बराबर रखे उनकी...
वो खुदा...
जो है. उनको बनाने वाला.... 

फ़िज़ा फातिमा....

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