मै आज रोना चाहती हु
मै आज रोना चाहती हु.अपने दामन को अपने आंसुओं से भीगोना चाहती हु.
बहुत जाग ली मै दुनिया के लिए
अब आया हैं.
होश मुझे
अब मै होकर शरीेक खुद मै
खुद की होना चाहती हु.
मै आज रोना चाहती हु.
दम घुटता हैं मेरा इस हक़ ऐ नफरत मै.
मै खुद से खुद के लिए रोना चाहती हु.
अपने दमन को अपने आँसुओ से भीगोना चाहती हु.
फना कर दिया मैने अपने वजूद को.
दुनिया को बहलाने मै.
दुनिया ने एक लम्हा नहीं लगाया.
मुझे गैर ज़िम्मेदार ठहराने मै.
फ़िज़ा फातिमा
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