कविता- पूजा
तन कि पूजा मन कि पूजा, पूजा पूजा पूजा है|
विश्वास से पूजा
प्रेम से पूजा|
पूजा सारे मन से जो,
पूजा होती सब कि पूजा|
भाव समर्पण भी पूजा,
दिल से पूजा पूजा भी|
हाथ नहीं है जिनके यारो,
भाव ही उनकी पूजा भी|
तन के कोढ़ी जन के विरोधी,
उनकी पूजा स्वीकार हुई|
ताना बाना यदि जग देता,
दर्द के कारण पूजा हुई|
खोल जुबान दे पूजा करलू,
अब कैसे श्रृंगार करु |
मन से पापी तन से जालिम,
अब कैसे मै ध्यान धरु|
किस विधि से तैयार करु मै,
पूजा कैसी होती है|
चंदन फूल के संग मै आउ,
क्या पूजा ऐसी होती है| तन कि.......
पाके तुमको कभी न छोड़ू,
ऐसी करता पूजा हू|
मै मर जाऊ पूजा मे यदि,
हो पूजा ऐसी विनती करता हूँ|
दुनिया ने सबको पूजा,
पत्थर और पठारों को|
जल और अग्नि हवा को पूजा,
पूजा इन सब पशूओं को|
ऋषि कि भी तो पूजा सुन लो,
दिल मे उसे को रखता हूँ|
भारत माँ का लाल सिपाही,
उनकी पूजा करता हूँ|
देश के खातिर गला उतारा,
इसलिए उनको पूजा है|
जान गया मै पूजा विधि को,
बस देश प्रेम ही पूजा है|तन कि......
कवि- ऋषि कुमार "प्रभाकर "
पता- ग्राम खजुरी खुर्द, थाना-तह.. कोरांव,
जिला- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
पिन कोड 212306
Very nice
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