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घर से बाहर मत निकल-कोरोना जाएगा निगल Ghar se bahar mat niklo

 घर से बाहर मत निकल-कोरोना जाएगा निगल


कोरोना रूपी शत्रु ये अदृश्य है, महा विनाश इसका लक्ष्य है।
कर न बिल्कुल भूल, तू जरा भी ना फिसल।
घर से बाहर मत निकल - कोरोना जाएगा निगल।
बुरी तरह से झकझोर रखा है विश्व को, रुला रखा है जगत को।
फूंक - फूंक कर बढ़ा कदम, जरा अभी तो संभल।
घर से बाहर मत निकल - कोरोना जाएगा निगल।
अगर उठा जो एक गलत कदम, कितनों का घुट जाएगा दम।
तेरी जरा सी भूल से, संपूर्ण देश जाएगा दहल।
घर से बाहर मत निकल - कोरोना जाएगा निगल।
संतुलित आहार कर और संतुलित व्यवहार कर।
बस कुछ ही दिनों की बात है, घर में बैठ इतना भी तू ना मचल।
घर से बाहर मत निकल - कोरोना जाएगा निगल।
एकांत में ही रह, स्वयं को अकेला महसूस न कर।
दो गज दूरी, मास्क पहनना है जरूरी।
घर से बाहर मत निकल - कोरोना जाएगा निगल।



रचनाकार :- शैताना राम बिश्नोई,
प्रधानाध्यापक, जोधपुर

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