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Diwali pr ghazal/दीवाली पर शायरी/Deepawli pr shayari

     Diwali pr ghazal 

 गरीबों  को  कपड़े  मिठाई दिलाएँ,
दिवाली   मनाएं   खुशियाँ  लुटाएँ।

सभी अपने -अपने घरों को सजाएँ,
जमी  हुई  रौशन  जहाँ  जगमगाएँ।

करें  नफ़रतों  को  जहाँ  से  रवाना,
चलो प्यार का दीप हम भी जलाएँ।

सभी मिलके कँधे से कँधा मिला ले,
बुराई    मिटाएँ   मुहब्ब्त   निभाएँ।

हंसी  ज़ीस्त  की तो यही आरज़ू है,
घने  अँधेरे  में  दीया  इक  जलाएँ।

चलो आज भूखें को खाना खिला दे,
किसी भूखें की भूख हम भी मिटाएँ।

सभी को गले से चलो अब लगा ले,
ग़रीबो की मिलके सभी ले दुआएँ।

-आकिब जावेद
बाँदा,उत्तर प्रदेश

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