Balak / बालक
अपनी धुन में मस्त
कल्पनाओं से भरा
किताबो से
कुट्टी किए
अक्षर नही
समझता
चीज़ों की
समझ लिए
आँखों में
चमक भरे
नितदिन विद्यालय आना
फिर शिक्षक से यूं
आकर हाथ मिलाना
अनगिनत प्रकार से
कितने प्रश्न दे जाता है?
काँटो में
गुलाब खिलेगा
क्या वो अपने
रंग भरेगा?
मासूम मुस्कान की कीमत
शायद इस लोक में तो नही
शायद किसी भी
लोक में नही।।
-आकिब जावेद
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