संस्कृत भाषा साहित्य का इतिहास
संस्कृत भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। भारत मे जो सबसे प्राचीन साहित्य उपलब्ध है वो भी संस्कृत भाषा में ही है। यही नहीं संसार की सबसे पुरानी पुस्तक ऋग्वेद भी संस्कृत भाषा में लिखा गया है। अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि संस्कृत साहित्य कितना गहन और विस्तृत साहित्य है। संस्कृत भाषा का अपना वृहद साहित्य है।
संस्कृत भाषा में ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक सभी प्रकार के वाङ्मय (साहित्य ) का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी, अरुणाचल से लेकर गुजरात के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा के माध्यम से संस्कृत भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। संस्कृत भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी आदि समस्त प्रकार के वाङ्मय (साहित्य) की रचना हुई।
संस्कृत भाषा में संसार की सबसे पुरानी पुस्तक से साथ संसार का सबसे बड़ा काव्य भी लिखा गया है। संस्कृत में वेद, पुराण, उपनिषद, वेदांग, दर्शन आदि सभी प्रकार के ग्रंथों की रचना हुई है। संस्कृत सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। बिहार या नेपाल से प्राप्त देवीमाहात्म्य की पाण्डुलिपि संस्कृत की सबसे प्राचीन सुरक्षित बची पाण्डुलिपि है।
संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रन्थों या रत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य संसार की अन्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रह पाई है। इतना प्राचीन होने के बाद भी संस्कृत भाषा में सृजन-शक्ति बन्द नहीं हुआ है।
संस्कृत भाषा और साहित्य का सृजन आज भी चालू है। संस्कृत भाषा के धातुओं से आज भी रोज नित्य नये- नये शब्दों का निर्माण किया जाता है। अर्थात संस्कृत भाषा आज भी नये-नये शब्दों का निर्माण करने में समर्थ है।
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