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सत्य की तलाश

जब तक तुम नही देखते  सब कुछ तो ठीक था
अब जब तुम देखने लगे तो आखे क्यो चोधिया गई
रिसने लगा दिमाग और तुम नाचने लगे एक अमरण सत्य की तरह
एक ऐसा सत्य जो बना देता है लोगों को अमर
और लोग उसकी तलाश में लगा देते है जीवन
जीवन के अहम पहलू को खत्म कर देते थे सत्य के  लिए
ओर सत्य इतना निर्दयी होता है जो  आता नहीं हाथ इतनी असानी से किसी के
पर तुम भी देखो झूठ किस तरह से कर देता है तुम्हें हरा भरा
और सत्य छोडाता हैं पसीने
उस पसीने से बनी रोटी कर देती है तुम्हारी आत्मा  तर्पत
वैसे ही  जैसे माँ के पेट से निकला हुआ बच्चा करता है अपने  माँ को पवित्र
और धरती को तर्पत

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