सन्देश
प्रकृति की प्रत्येक वस्तु
हर पल सन्देश देती है
सही राह पर
सच्ची राह पर
चलने को आदेशित करती है
फिर क्यों नहीं
उसके अनुसार चलते
आज प्रकृति का बिगड़ता स्वरूप
हम सभी के कारण है
मानव कब संभोगी?
कब समझोता कि
उसके भी कुछ दायित्व
इस प्रकृति के प्रति है
प्रकृति हमे सब कुछ देती
जीने का सहारा देती
उसके अहसान को चुकाने के बदले
हमने उसे क्या दिया है?
रोज पेड काटे है
प्रदूषण फैलाया है
प्रकृति को नुकसान पहुंचाने में
हमने कोई भी कदम
पीछे नहीं हटाया हैं
नदियों का कम होता जल स्तर
ग्लोबल वार्मिंग,प्रदूषित वातावरण
ये सब प्रकृति के अभिशाप है
मानव जीने में विवश होगा
ऐसा होगा उसका आगामी जीवन
क्योंकि
यह उसका स्वयं का
रचा जहान है
डॉ. पुष्पांजलि अग्रवाल
हरिद्वार


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