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वेदना


शीर्षक–‘ वेदना’

“ जलकुंड का रंग
और नुसरत की आॅ॑ख
दीवानगी की हद तक
वादी के चप्पें–चप्पें पर
झड़ते पत्तों के साथ रोई थी
वों थी वेदना.....
वों थी वेदना... ।
चेहरे  का नूर
मैंदानों में फैंलाती हुईं
चुप्पी की धुन पर
लगातार कहानियाॅ॑ सुनाती
मैंदानों में मुबारक गन्ध के साथ नाचती
वो थी वेदना 
वो थी वेदना ।।।"! 

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