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लिखने को तो लिख सकता हूँ

लिखने को तो लिख सकता हूँ

लिखने को तो लिख सकता हु
चूड़ी कंगन रोली पर
लिखने को तो लिख सकता हु
चुन्नी, चादर,चोली पर
लिखने को तो लिख सकता हु
सुर्ख गुलाबी होठो पर
लिखने को तो लिख सकता हु ।
तीरे नज़र की चोटों पर
लिखने को तो लिख सकता हु
कमर के भी हिचकोलों पर
लिखने को तो लिख सकता हु
माशूका के बोलों पर

लिखने को तो लिख सकता हूँ
आंसू और मुस्कानों पर
लिखने को तो लिख सकता हूँ
मीठी मीठी तानों पर
लिखने को लिख सकता हूँ
जुगनू चाँद सितारों पर
लिखने को लिख सकता हूँ
प्रेम प्यार के मारों पर
लिखने को तो लिख सकता हु
मीठी मीठी बातों पर
लिखने को तो लिख सकता हु
मधुर मिलन की रातों पर

पर आंच देश की आती है
तो सुलग सुलग तन जाता है
जब सैनिक को थप्पड़ लगता है
तो गुस्सा तन जाता है
मेरे मन की ज्वाला फिर तो
कागज़ पर जलने लगती है
और कलम स्याही के बदले
अंगार  उगलने लगती है

सौरभ हिंदुस्तानी
    दातागंज

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