कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

आशा की किरण


 आशा की किरण

हुआ जन्म जब इस धरती पर तब मैं कोरा कागज था 
हस खेल रहा था बचपन में 
मन में आशा का बादल था

बचपन से उभर बड़ा हुआ 
अब उम्मीदों का सागर था
चल पड़ा उधर मैं आशा में 
पीछे मुड़कर न देखा था

हुआ जन्म जब इस धरती पर तब मैं कोरा कागज था

हर दिन एक नई उमंग मन मे
ले चल पड़ता मंजिल की ओर 
न चल सका पता मंजिल का मुझे 
मंजिल का तट तो ऊंचा था
चलते चलते कब बड़ा हुआ मुझे नही कुछ मालूम था 
हुआ जन्म जब इस धरती पर तब मैं कोरा कागज था

आशा का अंधेरा काला 
कि उजियाला दिल तक जा न सका 
दौड़ता रहा मैं हिरणों की तरह पर कस्तूरी का पता मैं लगा न सका
आशा थी भभरे कि जैसी होगा नया सबेरा कब 
मिले नया रस कलियों का ऐसा बो रैन बसेरा था
बढ़ चला जिंदगी के अंत मे जब 
फिर भी आशा का डेरा था
हुआ जन्म जब इस धरती पर 
तब मैं कोरा कागज था

सूर्या शर्मा मगन 
इटावा उत्तर प्रदेश

No comments:

Post a Comment