।। यौवन।।
रुपसि तेरा ये यौवन।
लुब्ध भ्रमर सा मेरा मन।।
नेत्र चकित हिरणी सा
जीवन की लघु तरणी सा।
उर्बरता लिए हुए धरणी सा
मार रहा ये भोलापन।। रुपसि तेरा - - - - -
स्कन्ध पे अलक झुके हुए
कुच कलश हैं सटे हुए।
पीन पयोधर कसे हुए
तूं ही मेरी सर्वस धन।। रुपसि तेरा - - - - -
दिखती कपोंलो पर लाली
चाल मधुर मस्त मतवाली।
कोना दिल का रखती खाली
हो गया धन्य मेरा जीवन।। रुपसि तेरा - - - - - -
उर मे स्नेह जगाती हो
जीवन कमल खिलाती हो।
मधु प्याला तूं पिलाती हो
धँसा हृदय मे बाँकापन ।। रुपसि तेरा - - - - -
संयुक्त रूप मे सुंदर चिंदी
त्रिकुटि मध्य शोभित बिंदी।
भाषाओं में अनुपम हिंदी
वारता रूप पे धरा-गगन।। रुपसि तेरा - - - - -
शब्द मौन वर्णन मे तेरे
शुचि सरलता हृदि को घेरे।
धड़कन तूँ दिल की मेरे
पाठक गण हैं मुदित मगन।। रुपसि तेरा - - - - -
।। कविरंग उर्फ पराशर।।
रुपसि तेरा ये यौवन।
लुब्ध भ्रमर सा मेरा मन।।
नेत्र चकित हिरणी सा
जीवन की लघु तरणी सा।
उर्बरता लिए हुए धरणी सा
मार रहा ये भोलापन।। रुपसि तेरा - - - - -
स्कन्ध पे अलक झुके हुए
कुच कलश हैं सटे हुए।
पीन पयोधर कसे हुए
तूं ही मेरी सर्वस धन।। रुपसि तेरा - - - - -
दिखती कपोंलो पर लाली
चाल मधुर मस्त मतवाली।
कोना दिल का रखती खाली
हो गया धन्य मेरा जीवन।। रुपसि तेरा - - - - - -
उर मे स्नेह जगाती हो
जीवन कमल खिलाती हो।
मधु प्याला तूं पिलाती हो
धँसा हृदय मे बाँकापन ।। रुपसि तेरा - - - - -
संयुक्त रूप मे सुंदर चिंदी
त्रिकुटि मध्य शोभित बिंदी।
भाषाओं में अनुपम हिंदी
वारता रूप पे धरा-गगन।। रुपसि तेरा - - - - -
शब्द मौन वर्णन मे तेरे
शुचि सरलता हृदि को घेरे।
धड़कन तूँ दिल की मेरे
पाठक गण हैं मुदित मगन।। रुपसि तेरा - - - - -
।। कविरंग उर्फ पराशर।।
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