*जीने के विचार बदल दिये*
बदल दिया मैने अपने जीने का अंदाज लोगो।काल तक खुद के लिए
जीते थे,
अब हम जीयेंगे दुसरो के लिए।
क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जाऊंगा ।
जो कुछ भी कमाया सब यही छोड़ जाऊंगा।
फिर क्यो इस माया से हम मोह करे ।
और क्यो इसे अपनी तिजोरी में बंद करे।।
जब से जीवन के मूल तथ्य को समझा हूँ।
तब से इस संसार को, छोड़ने का मन कर रहा है।
और अपने आत्म कल्याण का,
भाव मेरे दिल दिमाग मे चल रहा है।।
कभी तो इस नश्वर जीवन को हमे त्यागना है ।
तो क्यो न इसे सार्थक बनाये ।
फिर अपना और समाज का कल्याण करते जाए।।
जब जागे तभी सबेरा है।
आत्मा को परात्मा से मिलाने में क्या कोई बुराई है?
करोगे जैसे कर्म तुम अब, मिलेगा वैसा ही अगला भव ।
ये तथ्य अब हम समझ गए है,
तो सही दिशा को ही हम अब चुनते है।
और एक सच्चे इंसानियत वाले धर्म का निर्वाह हम करते है।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
12/06/19
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