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नया मुकाम...Nya mukam


*नया मुकाम*

सुबह हो शाम हो,
दिन हो या रात हो,
आओ मेहनत मिलकर करें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
जिंदगी को नया लक्षय दे।।
सुबह हो या शाम हो .....।

काम की होड़ में दौड़कर देखिए,
कामचोरी को तभी छोड़कर देखिए।
मेहनत और लगन की तुम दो एक मिसाल,
इसमें खुद को डूबोकर तुम देखिए॥
तुम अगर साथ दो,
हाथों में हाथ दो,
सारी दुनिया को पीछे छोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
जिंदगी को नया लक्ष्य दे।।
सुबह हो शाम हो ......।

काम करने कोई न होता है वक्त,
जब भी जी चाहे इसे करो तुम सब।
सिर्फ दो अंक का प्रश्न हल को मिला,
जोड़ करना था हमने दिया है घटा।
एक अंक हम हैं,
एक अंक तुम हो,
आओ दोनों यूं जोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
जिंदगी को नया लक्ष्य दे।।
सुबह हो शाम ........।

मेहनत और लगन की हम शादी करें,
संग रहने का इनको आदी करें।
अब न होंगे एक-दूसरे से हम यूं अलग,
सारी कर्मशाला में ये मुनादी करें।
हमने जितना देखा,
बस उतना लिखा,
अब ये पन्ना यही मोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
जिंदगी को नया लक्ष्य दे।।
सुबह हो शाम हो,
दिन हो या रात हो,
आओ मेहनत मिलकर करें।
एक नया मुकाम हासिल करें।
जिंदगी को नया लक्ष्य दे।
एक नया इतिहास रचे।
एक नया इतिहास रचे।।
       
संजय जैन (मुम्बई)

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