कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

हंसी और झूठ का पात्र है.....Hasi or jhuth ka patr


हंसी और झूठ का पात्र है

जब भी पढ़ता हूँ अखबार  और देखता हूँ दूरदर्शन।
मन बहुत उदास सा हो उठता है।
अब क्या ये सब ही रह गया है,
पढ़ने और देखने को।
आज यहां बलात्कार वहां पर हिंसा और अत्याचार,
और मंत्रीजी की हो रही वहां पर जय जय कार ।
कितना कुछ बदल दिया स्वार्थी पत्रकारों ने।।

कहाँ हम साहित्य और अच्छे विचारों की बात करते थे।
सुबह सुबह चाय के साथ, अखबार पढ़कर और दूरदर्शन देखकर खुश होते थे।
देश विदेश की खबरे पढ़कर और देखकर जानकारी लेते थे।
पर अब तो ये सब बदल गया।
देश का चौथा स्तंभ ही, अपने रास्ते से भटक गया।
न्याय नीति और सही जानकारी देना,
मानो जैसे वो भूल गया।
अब विज्ञापन और मिथ्या बातो को पूरे पूरे दिन,
और मुख्य पृष्ठ पर दिखाते है।
और दर्शक और पाठको का सिर दर्द बहुत बढ़ाते है।।

कभी जिसको देश की नींव हम कहते थे,
उसका आज बेहाल है।
नही करता कोई भी इस पर अब भरोसा।
क्योकि तथ्य हीन और झूठा का पुलंदा बनकर,
आज कल सभी की हंसी पात्र है।।
सभी की हंसी का बहुत बड़ा पात्र है।।

संजय जैन (मुम्बई)
17/06/2019
जय जिनेन्द्र देव की

No comments:

Post a Comment