*पापाजी क्या होते है*
काम काम में व्यस्त रहे मेरे पापाजी।घर की चिंता ज्यादा करते मेरे पापाजी।
सबकी खुशीयाँ पूरी करते मेरे पापाजी।
इसलिए कहलाते घर की जान वो ।।
कितना कुछ त्याग किया अपने जीवन में।
छोटी छोटी खुशियां छोड़ी बच्चो की खातिर।
फिर भी बच्चे खुश न होते अपने पापा से ।
और अक्सर कहते रहते, की क्या किया है मेरे लिए।।
ऊपर से वो बहुत कठोर से दिखते ।
अंदर से होते बहुत ही कोमल वो।
किससे कहे वो अपने मन की बात।
इसलिए अंदर ही अंदर रोते रहते है वो।
पर ऊपर से दिखते रहते सदा बहुत खुश वो।
ऐसे काम जो करते उनको ही कहते पापाजी।।
पिता दिवस पर बच्चो की तरफ़ से सभी पापाओं को और देशवासियों को बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं। मेरी कविता मेरे पिताश्री को समर्पित है।
संजय जैन (मुम्बई)
16/06/2019
जय जिनेन्द्र देव की
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