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मोहब्बत के दुश्मन न बने... Mohabbat ke dushman na bane


*मोहब्बत के दुश्मन न बने*

मोहब्बत हम भी करते है।
मोहब्बत वो भी करते है।
पर शायद वो जमाने से ।
कही ज्यादा ही डरते है।
मोहब्बत ही तो की है,
कोई चोरी नही की है।
फिर क्यो मोहब्बत के,
दुश्मनों से तुम्हे डरना।।

इरादा यदि नेक हो तो।
मंजिले मिलती रहती है।
मोहब्बत साफ पाक हो तो।
परवान निश्चित ही चढ़ेगी।
सफलता तुम को इसमें ।
एक दिन जरूर ही मिलेगी।
फिर क्यो अपने कदमो को,
पीछे तुम खिंचते हो।
सफलता तुम दोनों के कदमो को चूमेगी।।

मोहब्बत कोई गुड्डा गुड़ियों का खेल नही है।
जी जब चाहा जोड़ लिया
जब जी चाहा तो तोड़ दिया।
ये वो पूजा और तपस्या है।
जो अच्छो अच्छो को नसीब नही होती।
इसलिए संजय कहता है,
जमाने के लोगो से।
मोहब्बत करने वालो को,
न देखो तुम नफरत से।।
और करने दे इनको,
मोहब्बत पूरी श्रध्दा और लगन से।।

संजय जैन (मुम्बई)
19/06/2019
जय जिनेन्द्र देव की

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