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शिवा पूरनपुर के ग़ज़ल

बेवजह ही बस्तियां जला नहीं करती
अपने आप चिंगारियां बुझा नहीं करती

जब तलक भेदी खास अपना न
हो
तब तलक कोई लंका जला नहीं करती

जेहन में दुश्मनी खुद के जब तक न पनपे
आपस में छुरियां चला नहीं करती

करता रहता हूं यूं ही शेरो शायरी
पर हर एक बेवजह हुआ नहीं करती

दुश्मनी से दुश्मनी मिटती अगर शिवा
प्रेम की जरूरत हुआ नहीं करती

शिवा
पूरनपुर
तुलसीपुर
बलरामपुर
271208

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